श्राद्ध : पितृपक्ष
श्राद्ध पितृपक्ष हिन्दू एवं अन्य भारतीय धर्मों में किया जाने वाला एक कर्म है जो पितरों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता अभिव्यक्त करने तथा उन्हें याद करने के निमित्त किया जाता है।
जिससे हमारे पितृ अपने वंश का कल्याण करेंगे तथा घर में सुख-शांति-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करेंगे।
इन्हें कनागत भी का जाता है।
क्यों कहते हैं कनागत ?
क्योंकि अश्विन मास के कृष्ण पक्ष के समय सूर्य कन्या राशि में स्तिथ होता तो इसलिए इन्हें कनागत भी कहा जाता है।
श्राद्ध कब है?
इस बार श्राद्ध या पितृपक्ष 2 सितंबर से प्रारंभ हो रहें हैं।
वैसे तो चतुर्दशी तिथि 1 सितंबर को 9.39 सुबह तक ही है उसके बाद पूर्णिमा प्रारंभ है जो कि 2 सितंबर को 10.51 सुबह तक रहेगी।
परंतु हमे वह तिथि लेनी चाहिए जो सूर्योदय के समय हो जो 2 सितंबर से है इसलिए पूर्णिमा का श्राद्ध 2 सितंबर को है।
श्राद्ध पक्ष 16 दिन रहता है। तथा समापन अमावस्या को माना जाता है।
पितृ श्राद्ध आरम्भ
1. पूर्णिमा श्राद्ध - 2/9/20, बुधवार
2. प्रतिपदा श्राद्ध - 3/9/20 गुरुवार
3. द्वितीया श्राद्ध - 4/9/20 शुक्रवार
4. तृतीया श्राद्ध- 5/9/20 शनिवार
5. चतुर्थी श्राद्ध-6/9/20 रविवार
6. पंचमी श्राद्ध- 7/9/20 सोमवार
7. षष्ठी श्राद्ध-8/9/20 मंगलवार
8. सप्तमी श्राद्ध- 9/9/20 बुधवार
9. अष्टमी श्राद्ध- 10/9/20 गुरुवार
10. नवमी श्राद्ध- 11/9/20 शुक्रवार
11. दशमी श्राद्ध- 12/9/20 शनिवार
12. एकादशी श्राद्ध- 13/9/20 रविवार
13. द्वादशी श्राद्ध- 14/9/20 सोमवार
14. त्रयोदशी श्राद्ध- 15/9/20 मंगलवार
15. चतुर्दशी श्राद्ध- 16/9/20 बुधवार
16. सर्वपितृ अमावस श्राद्ध 17/9/20 गुरुवार
श्राद्ध विधि और कैसे पाएं पितरों का आशीर्वाद
शास्त्रों के अनुसार, जो हमारे पूर्वज जिस तिथि को गए हैं यानी संसार त्याग दिया हमें उस तिथि को उनका श्राद्ध करना चाहिए । उनके निमित तर्पण करवाएं।
अगर किसी व्यक्ति के देहांत की तारीख या तिथि का ज्ञान नहीं है तो उसका तर्पण आश्विन अमावस्या के दिन होता है ।
विधीवत इस दिन पितरों को खीर अर्पित करें। गाय के गोबर के उपले में अग्नि प्रज्वलित कर अपने पितरों के निमित पिंड बना कर आहुति दें। इसके पश्चात, कौआ, गाय और कुत्तों के लिए प्रसाद खिलाएं। इसके पश्चात ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और स्वयं भी भोजन करें।
श्राद्ध पक्ष के चलते सात्विक रहने का प्रयास करें। मास मदिरा के सेवन से बचें।
क्योंकि ये दिन पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए बहुत शुभ होते हैं।
पिंड दान और तर्पण:
पितृ पक्ष के दौरान हमें अपने पितरों और पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए हम पिंड दान और तर्पण करते हैं।
हरिद्वार, गंगासागर, जगन्नाथपुरी, कुरुक्षेत्र, चित्रकूट, पुष्कर एवं बद्रीनाथ आदि जगहों पर पिंड दान और तर्पण सम्पूर्ण विधिवत भी सम्पन्न करवाये जाते हैं, लेकिन पौराणिक कथाओं में पिण्डदान एवं तर्पण आदि के लिए गयाजी को सर्वश्रेष्ठ एवं प्रभावशाली बताया गया है।